नींद भी तुम और रात भी तुम,
खामोशी और बात भी तुम,
सुबह की धुप और शाम का रूप,
तुम चारों पहर का करार हो,
तुम ही तो मेरा प्यार हो,
चैन भी तुम आराम भी तुम,
फुर्सत तुम और काम भी तुम,
मज़हब तुम और मकसद तुम,
दीवानगी हो जूनून हो,
तुम ही तो मेरा सुकून हो,
राह भी तुम और चाह भी तुम,
दर्द भी तुम और आह भी तुम,
मन्नत और मंसूबों में ,
तुम मुद्दत से शामिल हो,
तुम ही तो मेरी मंजिल हो,
मर्ज भी तुम और दवा भी तुम,
तुम खुशबू और सबा भी तुम,
तुम माहौल तुम मिजाज़,
तुम मुस्कुराते मौसम हो,
तुम ही मेरे हमदम हो,
तुम ही मन तुम ही तन,
तुम धड़कन और जीवन,
तुम रवायत, तुम चाहत,
तुम ही मेरी इबादत हो,
तुम ही मेरी आदत हो,