Monday, April 4, 2011

बारिश....

इन तपिश भरी बूंदों की दहक तो ना छीनो,
इन बारिशों से उनकी ये महक तो ना छीनो,

तेरी जुल्फों से गुज़र कर ये घटा करवटें लेगी,
तड़प के बरसने की है जो कसक तो ना छीनो,

बादलों ने आज भर ली है खुद में बिजलियाँ,
उनसे उनकी गरज और चमक तो ना छीनो,

मौसम ने संवर कर आज तेरे घर का रुख किया,
बेचारे से उस के नसीब की झलक तो ना छीनो,

मत करो क़ैद खुद को तुम इन छतों के नीचे,
तुम्हे भिगोने का है उनको हक़ तो ना छीनो

Friday, April 1, 2011

यकीं कर.....

ख्वाबों पे यकीं कर अपनी ख्वहिश पे यकीं कर,

खुद पे ऐतबार , अपनी कोशिश पे यकीं कर,

तपती हुयी राहों में कभी राहत तो मिलेगी,

उम्मीद के हैं बादल तू बारिश पे यकीं कर,

वक़्त का हर लफ्ज़ तेरी मौसिक़ी में ढलेगा,

लगा ले सुर और खुद की बंदिश पे यकीं कर,

है सूरत कामयाबी की तेरे तस्सवुर के माफिक,

कायनात की इस खुबसूरत साजिश पे यकीं कर,,

हौसले अगर हो जाएँ कभी तेरे मायूस,

किस्मत से हिम्मत की इस रंजिश पे यकीं कर,