उस रात ज़िन्दगी किसी जलसे में गयी थी,
गर्मजोशी से मिलती लोगों से लोगों की झूठी मुस्काने,
आँखों में ही थे छुपे हुए कुछ बनते बिगड़ते अफ़साने,
नोटों के बीच में धंसे हुए हाथ थे जेबों में खूब गरम,
महंगी खुशबुओं की तेज़ी में कहीं घुट रही थी शरम,
वोह गर्मी थी शोखी की,टकराते जिस्म और जामों की,
वोह गर्मी थी गुरूर की ओहदों , रसूख और नामों की,
इठलाती उंगलियाँ मनचाहे इलाकों में जा सरक रही थी,
अपने नशे में मदमस्त ज़िन्दगी उस रात थिरक रही थी,
उस रात ज़िन्दगी किसी गली से भी गुजरी थी,
मायूसियों की यहाँ हौसलों से रोज़ जंग होती है,
लम्बी होती हैं रातें और उम्मीदें तंग होती है,
जिस्मों को बार बार बर्फीली हवा ढकती है ,
बेबस हो कर ऑंखें भी भोर का मुंह तकती है,
आंसुओं की गर्मी कुछ पल सेंक देगी गालों को,
रोकर ही जलाएंगे वो जीवन के जंजालों को,
चिथड़ों में तो थी वह लिपटी फिर भी बिखर रही थी,
ठंडी सड़कों पर लेटी ज़िन्दगी उस रात ठिठुर रही थी,
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Tuesday, January 11, 2011
Saturday, January 8, 2011
सियासत के तरीके.....
देख के कुदरत के क़यामत के तरीके,
आ गए इंसान को इबादत के तरीके,
दुश्मनों के घर जा उन्हें गले लगाया,
बता दिए उनको अदावत के तरीके,
बड़ी बेरुखी से उन्होंने नज़र फेर लीं,
देखे हैं ऐसे भी इजाज़त के तरीके,
मुखालफतों के डर से फ़रमाँ बदल गए,
हुकूमतें सिखाती हैं बगावत के तरीके,
जिंदा इंसानों को भी तो बुत बना दिया,
भूला ये शहर अपनी नफासत के तरीके,
ख़्वाबों को अपने ये बेचना चाहती नहीं ,
अजीब हैं आँखों की तिजारत के तरीके,
हौसलों की चादर तले महफूज़ है उम्मीद.,
आसान हैं इसकी हिफाज़त के तरीके,
दर्द-ए-दिल लबों पे आ के मुस्कुरा दिया
सीख लिए इसने भी सियासत के तरीके,
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