Monday, April 4, 2011

बारिश....

इन तपिश भरी बूंदों की दहक तो ना छीनो,
इन बारिशों से उनकी ये महक तो ना छीनो,

तेरी जुल्फों से गुज़र कर ये घटा करवटें लेगी,
तड़प के बरसने की है जो कसक तो ना छीनो,

बादलों ने आज भर ली है खुद में बिजलियाँ,
उनसे उनकी गरज और चमक तो ना छीनो,

मौसम ने संवर कर आज तेरे घर का रुख किया,
बेचारे से उस के नसीब की झलक तो ना छीनो,

मत करो क़ैद खुद को तुम इन छतों के नीचे,
तुम्हे भिगोने का है उनको हक़ तो ना छीनो

3 comments:

ana said...

वाह! अति सुन्दर

Anonymous said...

dhanyawad Ana ji

Shekhar said...

thanks Ana-