चमचमाती धुप ये ज़रीन हो गयी है
की मौसम की रंगत हसीन हो गयी है,
बारिशों ने आकर जो छिड़का है पानी,
तो यादें भी ताज़ातरीन हो गयी है,
तराशती है लफ़्ज़ों को बारीकियों से
जुबां भी तो कितनी महीन हो गयी है,
तुम से मिल के इस का ये हाल हुआ है,
मेरी हया पर्दा - नशीं हो गयी है,
सोच अब दिमागों की लगती है अहमक,
बातें दिलों की ज़हीन हो गयी है
तेरी इन अदाओं से हो कर के वाकिफ ,
मेरी ज़िन्दगी बेहतरीन हो गयी है.....
4 comments:
तराशती है लफ़्ज़ों को बारीकियों से
जुबां भी तो कितनी महीन हो गयी है,
तुम से मिल के इस का ये हाल हुआ है,
मेरी हया पर्दा - नशीं हो गयी है,
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां
http://veenakesur.blogspot.com/
khoobsurat abhivyakti.
Veena ji bahut dhanyawad aapki prashansa ke liye...
Anamika ji..aapne padha aur aapko achcha laga..bahut dhanyawad
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