तेरी आँखों में गर मेरे आंसू की जगह नहीं है,
फिर तो मेरे पास कोई जीने की वजह नहीं है,
बेवफाई का है ये मामला, दर्ज कहाँ करवाएं,
कानूनन इस खता की तो कोई भी सजा नहीं है,
तेरा गुनाह है तेरी गवाही, और तू ही क़ाज़ी भी है,
इकतरफा लगता है मुकदमा इसमें मज़ा नहीं है,
बनी ठनी ये हंसी जो इस चेहरे पे दिखती है,
है ये जिद होठों की कोई दिल की रज़ा नहीं है ....
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