यूँ होके परेशान मै जीता तो नहीं हूँ,
घुट घुट के घूँट दर्द के पीता तो नहीं हूँ,
ज़ख्मो को खुला छोड़ मै फिरता हूँ दर-बदर,
आंसू की डोर से उन्हें सीता तो नहीं हूँ,
ये फ़िक्र हारने की सताती नहीं मुझे,
हर खेल ज़िन्दगी का मै जीता तो नहीं हूँ,
अब क्यूँ गुज़िश्ता गम में हो बरबाद ये उम्र,
हूँ आने वाला कल अभी बीता तो नहीं हूँ.
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