वक्त बदलने निकली हुई हवा के जादू से,
ओस की चादर ओढे हुए फूलों की खुशबु से,
नई किरण सुबह की गोद में महकती है,
धुप ज़मीं पे लेट के पल पल चहकती है,
देहलीज़ पे खड़ी खुशियों की आवाज़ को सुनकर,
पहनती है ये ऑंखें नया सपना इक बुनकर,
एक कदम तारों की तरफ़ मुझ से उठवाती हैं,
नयी लकीरें हाथों पे उनसे खिंचवाती हैं,
जागते हैं कुछ हौसले तब नींद से उठकर,
थमती है उम्मीद उनके हाथों को बढ़कर,
रौशनी में नहा कर वो लिबास बदल जाता है,
और यूँ ही जिंदगी का इतिहास बदल जाता है,
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