Friday, July 18, 2008

एक बार फ़िर...


एक बार फ़िर सपना बन पलकों पे सजने आओ तुम,
एक बार फ़िर मेरे दिल को आ कर के बहलाओ तुम,


एक बार तुम फ़िर से देखो आकर मुझको पहली बार,
एक बार मैं फ़िर जानू कैसा होता है पहला प्यार,


एक बार फ़िर उम्मीदों को आसमान पे सजने दो,

इन्द्रधनुष के रंग की धुन पर गीत प्यार का बजने दो,


एक बार फ़िर हाथ पकड़ कर संग चलो तुम थोडी दूर,
एक बार फ़िर कर लेने दो को मुझ को तुम ख़ुद पे गुरूर,


एक बार बातों को मेरी थोड़ा चुप रह जाने दो,

मेरी खामोशी का मतलब मुझको समझाने दो,


बुझती आशा के दीपक फ़िर से जीवन दान दो,
मेरी अभिलाषा को फ़िर से थोड़ा सा अभिमान दो,

एक बार फ़िर रूठो मुझसे और फ़िर मुझे मनाने दो,
इसी बहाने को सच को मेरे होठों तक आ जाने दो,


एक बार तस्वीर में अपनी रंग प्यार का भरने दो,
मेरे सपनो की रंगत को थोड़ा और संवरने दो,


एक बार तुम थोड़ा कह से ज़्यादा मुझे सुन लेने दो,
अपनी चाहत के लम्हों को फ़िर से मुझे चुन लेने दो,


बन जाओ तुम मेरी प्रेरणा गाने की मुस्काने की,
एक बार फ़िर जीवित कर लूँ ख्वाहिश तुम को पाने की,



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