Wednesday, July 23, 2008

तू जो कहे तो,

तू जो कहे तो अपनी ऑंखें ग़म से तेरे नहला दूँ मैं,
तेरे दुखते सपने अपनी पलकों से सहला दूँ मैं,
तनहा तनहा दिल जो तेरा खोया है किस उलझन में,
अपने दिल के पास बिठा कुछ देर उसे बहला दूँ मैं,

तू जो कहे तो तेरी उदासी थाम लूँ अपने हाथों से,
दर्द को तेरे कुछ समझाऊँ प्यार भरी इन बातों से,
चमकीली सी धूप कभी जो चहरे को सताए तो,
चांदनी का आँचल तब मैं मांग के लाऊं रातों से,

तू जो कहे तो बातों को तेरी अपनी जुबान से जोडू मैं,
अपनी मुस्कानों को तेरे लबों की तरफ़ अब मोडू मैं,
अपने मन के सूनेपन तक इनको तुम आ जाने दो,
तेरी खामोशी को अपने लफ्जों से फ़िर तोडू मैं,

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