कभी हम दिल से कहते हैं,
कभी खामोश रहते हैं,
तेरी चाहत में भीगे लफ्ज़,
कभी आंखों से बहते हैं:
कभी हम गुनगुनाते हैं ,
कभी सपने सजाते हैं,
तेरा ख्याल जब आये,
तभी हम मुस्कुराते हैं:
कभी तुम मेरी यादों को घर अपने बुला लेना,
मेरे ख्वाबों को तुम अपनी आंखों में सुला लेना,
तनहा सी मेरी साँसे बस यूं ही भटकती हैं,
कभी तुम अपनी खुशबू को ज़रा इनसे छुला लेना ;
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