Sunday, April 8, 2012

,ये चेहरा इक खबरिया है

मेरे गालों पे दुनिया को जो इक पगडण्डी दिखती है,
वो मेरे आंसुओं की राह गुजरने का इक ज़रिया है,

मेरे नज़दीक जब आया ...तो डूबा दिल की मस्ती में,
तुम्हारा दिल था पत्थर का ,हमारा दिल इक दरिया है,

कहीं जब रात होती है .....कहीं पर दिन निकलता है,
वो भी इक नज़रिया है .........ये भी इक नज़रिया है,

खबर उनको तो लग ही जाती है..... मेरे मंसूबों की,
ये ऑंखें मुखबिर हैं उनकी,ये चेहरा इक खबरिया है....शेखर

No comments: