Sunday, April 8, 2012


इक दिन एक कंवारे का भेजा कुछ ऐसा भरमाया,
चढ़ा बुखार कुछ ऐसा की घोड़ी चढ़ने का दिल आया,

झट-पट उसने अखबारों में इश्तिहार फिर ये छपवाया,
चाहिए एक अदद घरवाली, कम शब्दों में ये लिखवाया,

फिर क्या था बस रिश्तों की उस पर होने लगी बौछार,
किस को चुनू किसको छोडू मुश्किलें बढ़ गयी हज़ार,

उसने अपनी अकल लगायी,जाकर फिर कुंडली बनवाई,
ज्योतिष बोला मंगली लड़की ही बन सकती तेरी लुगाई,

वापस आकर उस लड़के ने रिश्तों का डब्बा खंगाला,
इक ही लड़की थी मंगली उसका बायो -डाटा निकाला,

पर उस लड़की का परिवार कुछ अलग था कुछ अजब था,
हर रिश्तेदार का धंधा वहां पर बड़ा अनोखा बड़ा गज़ब था ,

लड़की के पापा थे डाकू , चम्बल के बीहड़ में तैनात,
मम्मी भी थी खूब कमाती,बाहर रहती रात बिरात,

एक भाई के ऊपर कितने कतल के चल रहे थे कितने केस ,
एक भाई के शौक निराले, जुआं, सटटा घोड़ों की रेस,

पर एक भाई के बारे में नौकरी -चाकरी नहीं बताई,
लड़का चौंका सोचा उसने आखिर क्यूँ ये बात छुपायी,

बोला वो लड़की के बाप से पूरा विवरण दीजिये जनाब,
तीसरे लड़के का चरित्र क्या खानदान में सबसे खराब?

लड़की का पिता कुछ सकुचाया,डरा, सहमा हिचकिचाया,
बोला आप कहीं मना न कर दे इस लिया हमने नहीं बताया,

पर अब पुछा है तो सुनिए वो देश को रोज़ धोखा देता है,
कहते हुए शर्म आती है की तीसरा बेटा इक नेता है....शेख

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