Sunday, April 8, 2012

मेरी परिस्तिशों का कुछ सवाब दे खुदा,

ज़िन्दगी का कुछ लब्बो-लुआब दे खुदा,

मैंने मुस्कानों की बड़ी कीमत चुकाई है,

कुछ मेरे आंसुओं का भी हिसाब दे खुदा,

लोगों ने हर मोड़ पे मुझसे पूछे है सवाल,

कभी तो मेरी जानिब से तू जवाब दे खुदा,

तू तो छुप के रहता है कहीं आसमान में,

मुझे भी मुंह छुपाने को इक नकाब दे खुदा,

तेरे दर पे तो आ के झुकते है सर ये सारे,

अपने बन्दों को भी कुछ रुआब दे खुदा.....

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