और न अब झुका जाए,
नज़र उठा जिया जाए ,
कंधो पर रिश्तों का बोझ,
कब तक यूँ ...सहा जाए,
सब का हाल... खूब सुना,
अब अपना ...कहा जाए,
धुल जमी जिन पन्नो पर,
उनका दर्द .....पढ़ा जाए,
खरा सौदा, पूरा हिसाब,
लिया जाए न दिया जाए,
आज का खेल हुआ ख़तम,
अपने घर .....चला जाए....शेखर
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